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Raksha Bandhan 2024 Date : रक्षाबंधन कब है ? जानिये 2024 में राखी बांधने का शुभ-मुहूर्त एवं राखी से जुड़ी पौराणिक कथा 

Raksha Bandhan 2024 Date: आइए जानते है साल 2024 में रक्षा बंधन ( Rakshabandhan ) कब है, साथ ही बहन का भाई को राखी (Rakhi) बांधने का शुभ-मुहूर्त एवं रक्षा-बंधन से जुड़ी हिन्दू पौराणिक कथा के बारें में..

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इंडिया, 
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Raksha Bandhan 2024 Date : रक्षाबंधन कब है ? जानिये 2024 में राखी बांधने का शुभ-मुहूर्त एवं राखी से जुड़ी पौराणिक कथा 
When is Rakshabandhan 2024 Know the auspicious time to tie Rakhi and the mythological story

Raksha Bandhan 2024 Date: रक्षा बंधन का त्योहार हिन्दू धर्म में भाई-बहन का त्योहार के रूप में मनाया जाता है जो कि दीपावली एवं होली का त्योहार के बाद सबसे पवित्र त्योहार में से एक है इस त्योहार को भाई बहन के अट्टू प्रेम के प्रतीक के तौर में हर साल सावन पूर्णिमा को मनाया जाता है इस दिन बहन अपने भाई की कलाई में रक्षा सूत्र बांधती है इस रक्षा सूत्र के बदले भाई अपनी बहन के रक्षा का वचन देता है। आइए जानते है साल 2024 में रक्षा बंधन कब है, साथ ही बहन का भाई को राखी बांधने का शुभ-मुहूर्त एवं रक्षा-बंधन से जुड़ी हिन्दू पौराणिक कथा के बारें में..

2024 में रक्षा बंधन कब है? 

रक्षा बंधन का पर्व हिन्दू कलेंडर के मुताबिक, प्रतिवर्ष सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है साल 2024 में  सावन मास की पूर्णिमा 19 अगस्त 2024 को है इसलिए साल 2024 में रक्षाबंधन का त्योहार  19 अगस्त 2024, दिन सोमवार को मनाया जाएगा। 

2024 बहन का भाई को राखी बांधने का शुभ-मुहूर्त

हिन्दू पंचांग के मुताबिक, साल 2024 में बहन का अपने भाई को रक्षी बांधने का शुभ मुहूर्त 19 अगस्त, दिन सोमवार की दोपहर 01बजकर 34 मिनट से शुरू होगा जो कि रात 09 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। साथ ही  प्रदोष काल में राखी बांधने का समय शाम 6 बजकर 56 मिनट से शुरू होगा जो कि रात 9 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा भद्रा काल में राखी बांधने का समय सुबह 9 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। हालांकि पंचांग में भद्रा काल में राखी बांधने को शुभ नहीं जाता है क्योंकि कोई भी मांगलिक कार्य को भद्रा काल में नहीं किया जाता है। 

रक्षा-बंधन से जुड़ी पौराणिक कथा 

हिन्दू धर्म ग्रंथों में वर्णित कथाओ के मुताबिक, जब भगवान श्री कृष्ण जी ने अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का बढ़ किया था तब चक्र को वापस अपनी उंगली में लाने के व्यक्त श्री कृष्ण जी की उंगली में घाव लग गया जिससे भगवान श्री कृष्ण की उंगली से रक्त निकलने लगा जिसे देख द्रौपदी ने अपने साड़ी के पल्लू को चीरकर भगवान की उंगली में बांध दी। तभी भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा का वचन दिया। जिसे उन्होंने हस्तिनापुर के भरे दरबार में द्रौपदी की चीरहरण के दौरान पूरा किया। जब से ही रक्षा बंधन के त्योहार को प्रतिवर्ष सावन मास की पूर्णिमा को भाई बहन के अट्टू प्रेम के तौर में मनाया जाता है। 

Disclaimer: समय सत्ता न्यूज में दी गई यह जानकारी सिर्फ मान्यताओं पर आधारित है। समय सत्ता न्यूज किसी भी तहर से किसी भी तरह की मान्यता पर विश्वास नहीं करता है। यह जानकारी की पुष्टि के लिए संबंधित विशेषज्ञों से सलाह आवश्यक लें।


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