Holi 2025 Date: साल 2025 में होली कब हैं? होलिका दहन का मुहूर्त एवं होली मनाने की पौराणिक कथा
Holi 2025 Date: साल 2025 में होली कब हैं? इसके साथ फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि, होलिका दहन का शुभ मुहूर्त एवं होली मनाने की पौराणिक कथा के बारे में...
Holi 2025 Date: भारत में होली का त्यौहार को रंगों का त्यौहार कहा जाता हैं जो कि हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता हैं। होली का पर्व पांच दिनों तक मनाया जाने वाला त्यौहार हैं जो कि फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि से शुरू होता हैं और पाँचवी तिथि तक मनाया जाता हैं पाँचवी तिथि को रंग पाँचवी के नाम से भी जाना जाता हैं। आइये जानते हैं साल 2025 में होली कब हैं? इसके साथ फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि, होलिका दहन का शुभ मुहूर्त एवं होली मनाने की पौराणिक कथा के बारे में...
आप के लिए चुनी गई खबरें
यह कुछ और खबर भी हमने आपके लिए चुनी है आप इन्हे भी पढ़ें
- Diwali 2024 Date: साल 2024 में दिवाली कब है? लक्ष्मी पू...
- Holi 2025 Date: होली कब हैं? [2025 Mein Holi Kab Hai] ...
- Dussehra 2024 Date: साल 2024 में दशहरा कब है? रावण दहन ...
- पुलिस हिरासत में युवक की मौत, महिलाओ ने अधिकारियों के सामने उत्तरे कपड़े
- Raksha Bandhan 2024 Date : रक्षाबंधन कब है? रक्षा सूत्र बांधने का मुहूर्त एवं इस...
- सुझाव: निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए सहायता करें क्लिक
साल 2025 में होली कब हैं? | Holi 2025 Date
साल 2025 में होली का त्यौहार 14 मार्च, शुक्रवार को मनाया जाएगा। जबकि होलिका दहन 13 मार्च की शाम की जाएगी।
फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि
हिन्दू पंचांग के मुताबिक होली का पर्व 2025 में 13 मार्च, गुरुवार को होलिका दहन से शुरू होगा. इस 13 मार्च को पूर्णिमा तिथि सुबह 10.25 मिनट से लगेगी जो कि 14 मार्च 12.23 मिनट तक रहेगी
होलिका दहन का मुहूर्त
होलिका दहन हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को किया जाता हैं। साल 2025 में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च, गुरुवार को रात 11 बजकर 13 मिनट से शुरू होगा जो कि रात 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।
होली मनाने कि पौराणिक कथा
हिंदू धर्म ग्रंथो में वर्णित कथाओं के मुताबिक, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को हिरण्यकरण राज्य का राजा हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद जो कि भगवान विष्णु के परम भक्ति में लीन थे उसे अपनी बहन होलिका के साथ जिन्दा जलाने की कोशिश की लेकिन दुर्भाग्य से ब्रम्हा जी के वरदान के बाद भी होलिका आग में जलकर भस्म हो गई। वही भगवान विष्णु के परम भक्त पहलाद इससे बच गये तभी से ही बुराई में अच्छाई की जीत के तौर पर हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली का त्यौहार मनाया जाता है।
नोट : यह जानकारी केवल मान्यता के अनुसार लिखी गई है जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित जानकार से सलाह अवश्य लेवें
Samay Satta Subscriber
This user has systemically earned a pro badge on samaysatta.com, indicating their consistent dedication to publishing content regularly. The pro badge signifies their commitment and expertise in creating valuable content for the samaysatta.com community.
अस्वीकरण!
खाते की भूमिका
यह लेख एडमिन द्वारा पोस्ट किया गया है, इस ब्लॉग में सामग्री पूरी तरह से विश्वसनीय है। प्रोफ़ाइल